Aachari baa movie review: खट्टे मीठे रिश्तो के साथ आज होली के मौके पर जिओहॉटस्टार पर 14 मार्च 2025 को नीना गुप्ता की फिल्म ‘अचारी बा’ रिलीज कर दी गई है, जिसमें आज की युवा पीढ़ी की सोच और बुढ़ापे की स्थिति को बखूबी दर्शाया गया है। (अचारी बा )नींना गुप्ता अपने गुजराती स्टाइल में कॉमेडी और इमोशंस के साथ एक बार फिर से दर्शकों के बीच आ गई है चलिए जानते हैं कैसी है यह फिल्म।
कास्ट:
नीना गुप्ता, वत्सल सेठ, कबीर बेदी,मनासी रच आदि।
फ़िल्म की लम्बाई: 1 घंटा 38 मिनट
कहाँ देखे: जिओ हॉटस्टार
निर्देशक: हार्दिक गज्जर

बुढ़ापे की वास्तविकता को दर्शाती:
हार्दिक गज्जर द्वारा निर्देशित यह फिल्म समाज के एक ऐसी कड़वी सच्चाई को दिखा रही है जिसे नकार पाना बहुत मुश्किल है ममता से भरी एक माँ जो अपने बच्चे के लिए सब कुछ त्यागती है पर जब बुढ़ापे मे उसको कंधा चाहिए होता है तो वह सिर्फ अकेलापन ही पाती है।
किरदारों का ज़बरदस्त चुनाव
जयष्णवी बेन अनुपचंद वगाड़िया का किरदार निभा रहीं नीना गुप्ता एक ऐसी माँ है जिसके पति बहुत समय पहले इस दुनिया से चल बसें उसने अपने एक लौते बेटे केतन(वत्सल सेठ) की परवरिश बहुत अच्छे से की अब उसका बेटा अपनी पत्नी मनोरमा(मनासी रच) और बेटे कौशल के साथ मुंबई मे रहता है जो 10 साल से अपनी माँ से नहीं मिला और वह बूढी मां गुजरात में घर मे अकेले रहती है,

अपने अकेले पन को दूर करने के लिए वह अपनी दो सहेलियों शारदा और रूपा के साथ अचार बना कर बेचती है साथ ही हर रोज़ अपने बेटे के फोन का इंतज़ार करती है और उसका फ़ोन आता है तब जब उसको अपने परिवार को लेकर दार्जलिंग घूमने जाना है और घर मे पालतू कुत्ते जेनी की देखभाल के लिए कोई चाहिए होता है और वह अपनी माँ को मुंबई बुलाता है।
इसके अलावा कहानी मे ब्रजेश मल्होत्रा (कबीर बेदी) जो सोसाइटी के सेक्रेटरी है, धनश्री एक स्वीट सी लड़की, और कुछ बच्चों के किरदार कहानी को एक नया मोड़ देने मे बहुत सहायक है।

पटकथा मे गहराई और वास्तविकता:
आज के समाज की एक यह भी कड़वी सच्चाई है कि अपने पराये हो रहे हैं और पराये अपने हो रहे हैं, वैसा ही कुछ होता है जैष्णवीबेन के साथ जहाँ एक तरफ उसका बेटा उसे कुत्ते की रखवाली के लिए फ्लैट में अकेला छोड़ जाता है, वही बिल्डिंग के और लोग नीना को अकेला महसूस नहीं होने देते।
उन सभी मे जैष्णवी बेन को अच्छे दोस्त मिल जाते है और उसका अकेलापन भी दूर होता है।
फ़िल्म की पटकथा केवल मनोरंजन प्रदान नहीं करती बल्की जीवन की कड़वी सच्चाईयो को उजागर करती है और वास्तविकता से परिचय करवाती है जो आपको अंदर तक झींझोर देगी है।

कॉमेडी और इमोशंस के साथ ट्वीस्ट:
फ़िल्म मे एक तरफ जैष्णवी बेन का अकेला पन आपको भावुक करता है वहीँ उनके अंदर का जोश और चंचलता किरदार को मज़बूत बनाती है, इमोशंस के साथ कहानी मे हलकी फुलकी कॉमेडी बैलेंस बनाये रखती है साथ मे आता है एक ट्वीस्ट जब जैष्णवी बेन के साथ कुछ ऐसा होता है जो कहानी मे नया मोड़ और रोमांच लाता जिसे जानने के लिए आपको यह फ़िल्म देखनी होगी।
फ़िल्मीड्रिप रेटिंग: 3.5/5