Niram Marum Ulagil Review:बीते शुक्रवार 7 मार्च 2025 के दिन जहाँ हॉरर ड्रामा और कॉमेडी फिल्मों ने सिनेमाघरों में दस्तक दी। वहीं एक ऐसी फिल्म भी रिलीज हुई है जो एंथॉलजी कैटेगरी में आती है। हम बात कर रहे हैं तमिल फिल्म “निरम मारुम उलगिल” की इसकी लंबाई 2 घंटे 26 मिनट है,और बुकमायशो पर इसे यूजर्स ने 10 में से 9.8 की शानदार रेटिंग दी है।
एंथॉलजी का मतलब होता है कई कहानियों का एक साथ होना,और हर कहानी अपने आप में अलग होती है। लेकिन इस फिल्म में ऐसा नहीं है,यहाँ चार कहानियाँ आखिरी पाँचवीं कहानी से जाकर मिलती हैं। फिल्म का डायरेक्शन ब्रिटो जे बी ने किया है और इसके मुख्य कलाकारों में, योगी बाबू नटराज भारतीराजा रियो राज और सैंडी जैसे नाम शामिल हैं तो चलिए जानते हैं, क्या है इस एंथॉलजी फिल्म की कहानी और करते हैं इसका पूरा रिव्यू।
कहानी:
क्योंकि यह फिल्म एंथॉलजी कैटेगरी में आती है,जिस कारण इसमें टोटल पाँच कहानियाँ देखने को मिलती हैं। आइए जानते हैं संक्षिप्त में क्या हैं यह कहानियाँ-
कहानी नंबर 1: जाति भेदभाव
फिल्म की पहली कहानी चेन्नई के पास एक छोटे से गाँव में सेट की गई है,यहाँ अब्दुल मलिक यानी (नटराज) पर फोकस है। जो बचपन से अनाथ था उसका पालन पोषण एक वेश्यालय में हुआ। क्योंकि वहाँ की एक औरत ने उसे गोद ले लिया था,इस वजह से वह हमेशा मन के बोझ तले जीता रहा।
बड़ा होने पर जब वह अपनी जिंदगी की तलाश में निकला। तब उसकी मुलाकात काव्या नाम की बुजुर्ग महिला से हुई जिसे उसने अपनी माँ की तरह अपनाया और अपने साथ रखा। हालाँकि काव्या बोल नहीं सकती थी आगे की कहानी उस गाँव में रहने वाले कुछ लोगों के जाति के आधार पर भेदभाव और छुआछूत की सोच पर आधारित है।
कहानी नंबर 2: माँ बाप का दर्द
दूसरी कहानी एक मछुआरे परिवार की है यहाँ (रायप्पन) यानी भारतीराजा और उनकी पत्नी वडिवुक्करसी खुशहाल जिंदगी जी रहे थे। तभी ऊपरवाले ने उन्हें दो बेटों के रूप में आशीर्वाद दिया। दोनों बेटों को यह दंपति बड़े प्यार से पालता पोसता है,
लेकिन जब बेटे बड़े होकर शादी कर लेते हैं,तो अपनी पत्नियों के कहने पर माँ बाप को अकेला छोड़ देते है। यह कहानी उस दर्द को बयां करती है जो माता पिता अपने बच्चों से उनकी उम्मीदों के टूटने पर महसूस करते हैं।
कहानी नंबर 3: पढ़ाई से अपराध का सफर
तीसरी कहानी भी एक मछुआरे परिवार के इर्द-गिर्द बुनी गई है,यहाँ एक ऐसी माँ है जिसने अपने पति को खो दिया और अपनी पूरी जिंदगी बेटे (अतियन) यानी रियो राज को पालने में लगा दी। उसका सपना था कि बेटा अपने पिता की तरह मछुआरा न बनकर सरकारी नौकरी हासिल करे।
लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था,बेटा आगे चलकर अपराध की दुनिया में कदम रख देता है। जहाँ से वापसी मुश्किल हो जाती है। फिर कैसे वह गलत रास्ते को छोड़ सही राह पर आता है,यही इस कहानी का आधार है।
कहानी नंबर 4: ऑटो चालक और महानगर
चौथी कहानी में एक ऑटो चालक और उसकी बूढ़ी माँ की जिंदगी दिखाई गई है। बेटा होने के बावजूद माँ अकेली है। यह कहानी पैसों की तंगी और रोजमर्रा की जद्दोजहद को बयां करती है,जो हर आम इंसान से जुड़ी हुई है यहाँ भावनाओं के साथ शहर की भागदौड़ भी झलकती है।
कहानी नंबर 5:
पाँचवीं कहानी इस फिल्म की आखिरी कड़ी है और पिछली चारों कहानियाँ इससे जाकर जुड़ती हैं,इसे पूरी तरह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
नेगेटिव पॉइंट्स:
फिल्म की सबसे बड़ी कमी इसका स्टोरी टेलिंग कांसेप्ट है,इससे पहले भी कई एंथॉलजी फिल्में आ चुकी हैं और ज्यादातर देखा गया है,कि ऐसी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास नहीं कर पातीं। इसका मुख्य कारण है ढेर सारी कहानियों का होना। जो आपस में ठीक से कनेक्ट नहीं हो पातीं और दर्शकों को बाँध नहीं पातीं। यहाँ भी कुछ ऐसा ही महसूस होता है कि,कहानियाँ जल्दबाजी में खत्म हो जाती हैं।
पॉजिटिव पॉइंट्स:
फिल्म की अच्छी बातों की ओर देखें तो हर कहानी में सच्चाई को बखूबी दिखाया गया है कोई भी कहानी ऐसी नहीं लगती जो बनावटी हो। भावनाओं को गहराई से पेश किया गया है,खासकर माँ-बेटे और माता पिता के रिश्तों को जो हर किसी से रिलेट कर सकता है। कलाकारों की एक्टिंग भी कमाल की है जो इन कहानियों को और भी ज्यादा गहरा बनाती है।
निष्कर्ष:
अगर आपको एंथॉलजी फिल्में देखना पसंद हैं तो फिल्म “निरम मारुम उलगिल” को एक बार देख सकते हैं। हालाँकि यहाँ दिखाई गई कहानियाँ कोई ऐसी एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी नहीं हैं,जो आपको यह एहसास दिलाए कि,आपने पहले ऐसा कभी नहीं देखा। सभी कहानियाँ हल्की फुल्की हैं,जो आपके सामने आती हैं और चुपचाप चली जाती हैं,फिर भी भावनाओं का तड़का और कलाकारों का शानदार अभिनय इसे देखने लायक बनाता है।
फिल्मीड्रिप रेटिंग: 2.5/5